नई दिल्ली: साल 2022 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की पहली मौद्रिक नीति समिति (MPC) के नतीजों का ऐलान हो गया है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। लगातार 10वीं बार आरबीआई (RBI) ने पॉलिसी दरों (Credit Policy) में बदलाव नहीं किया है।
मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक 8 फरवरी से शुरू हुई थी। बैठक के दौरान हुए फैसलों की जानकारी दी।
पिछली बैठक में आरबीआई ने पॉलिसी दरों (RBI Credit Policy) में कोई बदलाव नहीं किया था। इसको लेकर RBI 12 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगी। पिछली बार बैठक दिसंबर, 2021 में हुई थी। तब केंद्रीय बैंक ने प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 4% पर बरकरार रखा था।
वर्तमान में रेपो रेट 4% और रिवर्स रेपो रेट 3.35% है। MPC में 6 सदस्य होते हैं। 3 सरकार के प्रतिनिधि होते हैं। 3 सदस्य RBI का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनमें गवर्नर शक्तिकांत दास भी शामिल हैं।
वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में GDP ग्रोथ अनुमान 7.8% से घटकर 7% किया गया है। 2022-23 की दूसरी छमाही से महंगाई में कमी आएगी। वैक्सीनेशन से इकोनॉमी में रिकवरी हो रही है।
वर्ष 2022-23 में रियल GDP ग्रोथ 7.8% हो सकती है। निजी निवेश की रफ्तार अभी भी धीमी बनी हुई है। 2022-23 की चौथी तिमाही से महंगाई दर में कमी होगी।
रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI द्वारा बैंकों को कर्ज दिया जाता है। बैंक इसी कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं। रेपो रेट कम होने का अर्थ होता है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के लोन सस्ते हो जाएंगे। जबकि रिवर्स रेपो रेट, रेपो रेट से ठीक विपरीत होता है।
रिवर्स रेट वह दर है, जिस पर बैंकों की ओर से जमा राशि पर RBI से ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट के जरिए बाजारों में लिक्विडिटी यानी नगदी को नियंत्रित किया जाता है। यानी रेपो रेट स्थिर होने का मतलब है कि बैंकों से मिलने वाले लोन की दरें भी स्थिर रहेंगी।