गाजियाबाद: जालसाजी के एक अजीबोगरीब मामले में साइबर अपराधियों ने फर्जी आधार नंबर और बंद मोबाइल नंबर का इस्तेमाल कर उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद निवासी के बैंक खाते से 16 लाख रुपये ठग लिए। पीड़ित की बहन जीएसटी विभाग के उपायुक्त हैं। साइबर सेल और मधुबन बापूधाम पुलिस ने धोखाधड़ी के मामले में अब तक चार लोगों को गिरफ्तार किया है।
डाउनलोड करें "द गांधीगिरी" ऐप और रहें सभी बड़ी खबरों से बखबर
एसपी सिटी निपुण अग्रवाल ने बताया कि आरोपियों के नाम भानु प्रताप शर्मा, विपिन राठौर, दीपक और त्रिलोक शर्मा हैं। पुलिस ने आरोपियों के पास से मोबाइल फोन, 20 से अधिक एटीएम कार्ड, 5 लाख रुपये नकद और एक मारुति अर्टिगा कार जब्त की है।
साइबर क्राइम सेल के सीओ अभय कुमार मिश्रा के मुताबिक, पीड़ित गौरव गुप्ता गाजियाबाद के मधुबन बापूधाम इलाके की एक कॉलोनी का रहने वाला है। उनके बैंक खाते और आधार नंबर से जुड़ा उनका फोन नंबर पिछले कुछ महीनों से उपयोग में नहीं था।
हालांकि गौरव ने बैंक ऑफ बड़ौदा में पंजीकृत अपने नंबर को अपडेट करने के लिए आवेदन किया था, लेकिन प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं हुई थी। कुछ महीने बाद वही नंबर दिल्ली के रहने वाले विपिन राठौर को आवंटित कर दिया गया। जब उसे बैंक से जुड़े मैसेज मिले तो उसने अपने दोस्त भानु के साथ मिलकर धोखाधड़ी की साजिश रची।
दोनों ने दीपक नाम के एक तीसरे व्यक्ति की मदद से बैंक लिंक से गौरव का आधार कार्ड डाउनलोड किया और फोटो को विपिन के साथ बदल दिया। उसके बाद जाली दस्तावेजों के आधार पर बैंक ऑफ बड़ौदा ने गौरव गुप्ता के खाते से जुड़ा एक नया डेबिट कार्ड जारी किया।
इसके बाद त्रिलोक शर्मा ने गौरव गुप्ता के खाते से नेट बैंकिंग के जरिए 16 लाख रुपये निकाल लिए। परिणामी राशि को चारों आरोपियों के बीच समान रूप से विभाजित किया गया था।
31 जुलाई को पीड़ित गौरव गुप्ता ने मधुबन बापूधाम थाने में मामला दर्ज कराया। एफआईआर के बाद पुलिस हरकत में आई और चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया।
योजना का मास्टरमाइंड, भानु ऐसे कई अपराधों में शामिल पाया गया जिसमें फर्जी ‘पैसा बनाने’ की योजनाओं में लोगों को लुभाने के लिए फर्जी विज्ञापन के जरिये धोखा देना शामिल था।