मेरठ: महंगाई, बेरोजगारी, महिला अपराध ग्राफ और शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को छोड़ कर बीजेपी बुर्का, हिजाब जैसे ज्वलनशील धार्मिक मुद्दों के सहारे अपनी नईया पार लगाने की ज्यादा कोशिश कर रही है।
भाजपा के प्रदेश महासचिव जेएसपी राठौर ने चुनाव आयोग को लिखे पत्र में चुनाव अधिकारियों से मतदान केंद्रों पर आने वाली ‘पर्दानशीन’ महिलाओं (पर्दा/बुर्का में) की उचित पहचान की जांच सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि “पूरी तरह से ढंके हुए चेहरे वाली महिलाएं फर्जी मतदान में शामिल हैं और इसकी जांच होनी चाहिए।”
यह पत्र सोमवार को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नौ जिलों में 55 विधानसभा सीटों के मतदान दिन पर आया था जिनमें से ज्यादातर अल्पसंख्यक बहुल थे।
राठौर ने चुनाव आयोग को लिखे पत्र में कहा, “मेरे पास रिपोर्ट है कि आज (सोमवार) कई परदानाशी महिलाओं ने कई बूथों पर बिना उचित पहचान के अपना वोट डाला है। भाजपा ने चुनाव आयोग से ऐसे लोगों की उचित पहचान की जांच करने का अनुरोध किया है। मैं आपसे फिर से अनुरोध कर रहा हूं कि कृपया ऐसे लोगों को वोट देने से पहले उनकी पहचान की जांच सुनिश्चित करें।”
उन्होंने कहा, “अगर कोई बुर्का या किसी भी तरह के चेहरे को ढंक कर आता है, तो आप कैसे जांचेंगे कि उस व्यक्ति ने पहले वोट दिया है या नहीं। चुनाव आयोग को मेरा पत्र उन सभी के लिए है जो अपना चेहरा छुपा रहे हैं। सिर्फ महिलाएं ही नहीं, पुरुष भी।”
उन्होंने कहा, “इन जगहों पर मतदान तब तक रुकना चाहिए जब तक ऐसी महिलाओं की सही पहचान नहीं हो जाती।”
भाजपा ने प्रक्रिया पर कड़ी नजर रखने के लिए सभी मतदान केंद्रों पर महिला कांस्टेबलों की तैनाती की भी मांग की।
पत्र की आलोचना करते हुए कांग्रेस के पश्चिमी यूपी प्रभारी धीरज गुर्जर ने कहा, “जब भी बीजेपी को लगता है कि पार्टी जमीन खो रही है, तो वे इस तरह के सस्ते थियेट्रिक्स का चयन करना शुरू कर देते हैं।”
बीजेपी नेता के बयान का विश्लेषण
जानकारी के लिए आपको बता दें कि, किसी भी पोलिंग बूथ पर किसी प्रकार के हिजाब या बुर्के में मतदान करने आई महिलाओं के पहचान पत्र और जरुरत पड़ने पर चेहरे की पहचान किया जाता है. एक महिला एक पहचान पत्र और वोटिंग स्लिप के साथ केवल एक बार वोट कर सकती है. इसके अतिरिक्त मतदान करते समय उंगली पर लगाई जाने वाली स्याही से पहचान कर फर्जी मतदान को भी बड़ी आसानी से पकड़ा जा सकता है.