नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बड़ा फैसले लेते हुए दिल्ली जल बोर्ड के अस्थायी कर्मचारियों (Delhi Ad-hoc Worker) को परमानेंट करने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड (Delhi Jal Board) के 700 संविदा कर्मचारियों की नौकरी को स्थायी कर दिया गया है और इस फैसले की गूंज देश के अन्य हिस्सों में भी सुनाई देगी।
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स्थायी बनाए गए डीजेबी कर्मियों को प्रमाण पत्र देने के लिए यहां आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान केजरीवाल ने कहा कि, “यह एक मिथक है कि ‘कच्चे’ (संविदा) कर्मी को ‘पक्का’ (स्थायी) नहीं बनाया जाना चाहिए, क्योंकि इससे वे आलसी हो जाते हैं और अधिक काम नहीं करते।”
उन्होंने आगे कहा कि, ” 2015 में पहली बार हमारी सरकार बनने के बाद जब हम शिक्षा विभाग में क्रांति लेकर आए या जब हमने स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में सुधार किया, तो यह काम केवल सरकारी शिक्षकों, चिकित्सकों और नर्स ने ही किया।”
उन्होंने कहा कि इस कदम ने इस मिथक को भी तोड़ दिया और अब सुरक्षा की भावना होने के कारण वे पहले से दोगुना काम करेंगे।
दिल्ली सरकार के ऐतिहासिक फैसले को अमलीजामा खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पहनाया। उन्होंने खुद 700 कर्मचारियों को पक्की नौकरी का प्रमाणपत्र (Certificate) बांटा।
अब पूरे देश में इसकी मांग उठेगी की जब दिल्ली में संविदा कर्मचारियों को परमानेंट किया जा सकता है तो दूसरे राज्यों में क्यों नहीं? देश के युवाओं की माने तो पिछले 10-12 सालों में संविदा कर्मचारी भर्ती प्रथा को तोड़ शोषण से उबरने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि, “हमने डीजबी में जो बड़ा फैसला किया है, उसकी गूंज देश को अन्य हिस्सों में भी सुनाई देगी और अन्य राज्यों के लोग भी सवाल करने लगेंगे कि यदि यह दिल्ली में किया जा सकता है, तो अन्य राज्यों में क्यों नहीं किया जा सकता।”
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार अन्य विभागों में भी संविदा कर्मचारियों की नौकरी को स्थायी बनाना चाहती है, लेकिन केंद्र सरकार पर प्रशासनिक निर्भरता के कारण उसके पास ऐसा करने के लिए पर्याप्त शक्तियां नहीं है। उन्होंने कहा कि डीजेबी एक स्वायत्त संस्था है, इसलिए इसमें ऐसा करना संभव था।