लखनऊ: विपक्षी पार्टियों के नाक में दम करने वाले प्रवर्तन निदेशालय (ED) के पूर्व संयुक्त निदेशक राजेश्वर सिंह (Rajeshwar Singh) पर आखिरकार सार्वजानिक तौर पर भारतीय जनता पार्टी का भगवा रंग चढ़ गया है।
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उन्हें लखनऊ की नौ विधानसभा सीटों में रोजनीनगर से योग्य उम्मीदवार माना जा रहा है। राजेश्वर सिंह ने पूर्वर्ती केंद्र और राज्य सरकारों में कई घोटालों और धोखाधड़ी के मामलों का बड़ी बहादुरी से खुलासा किया था, लेकिन दुर्भाय से भाजपा सरकार सत्ता में आने के बाद कोई झंडा नहीं गाड़ सके।
राजेश्वर सिंह की रैंक के मुताबिक उनके ईडी निदेशक बनने की संभावना थी, लेकिन वरिष्ठ पद से ज्यादा उन्हें भाजपा में अपना सुनहरा भविष्य नजर आया।
सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि, “राजनीति में आने के पीछे कोई विशेष घटना नहीं है, लेकिन जब से मेरा पूरा परिवार लोगों की सेवा कर रहा है मुझे भी इसकी तीव्र इच्छा थी। मैं केवल बेईमान, भ्रष्ट और अपराधियों के लिए राजनीति के प्रति लोगों की धारणा को बदलना चाहता हूं।”
बता दें, 1994 बैच के पीपीएस राजेश्वर सिंह का जन्म लखनऊ में हुआ था। केल्विन ताल्लुकदार कॉलेज से पढ़ाई की और गोमतीनगर, महानगर अपराध शाखा, यातायात में पांच साल से अधिक समय तक सर्कल अधिकारी के रूप में सेवा दी।
बाद में जेडी ईडी के रूप में पांच साल तक तैनात रहे। महानगर में राजेश्वर सिंह (Rajeshwar Singh) के पुश्तैनी मकान के पास एक सड़क का नाम उनके पिता रण बहादुर सिंह के नाम पर रखा गया है।
तीन तलाक, जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्म करने और राम मंदिर निर्माण से प्रेरित राजेश्वर ने संवाददाता से कहा की, वर्तमान में भाजपा देश की एकमात्र लोकतांत्रिक पार्टी है। यह एकमात्र पार्टी है जिसमें एक सामान्य कार्यकर्ता प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या पार्टी अध्यक्ष बन सकता है। अन्य दल वंशवादी, जातिवादी हैं। भाजपा की विचारधारा ‘देश पहले’ है।
पूर्व ईडी अधिकारी से भाजपा नेता बने राजेश्वर सिंह (Rajeshwar Singh) जब वोट मांगने जाते हैं तो मतदाताओं से अपील करते हैं कि सपा को वोट न दें वरना जेलों में बंद सभी माफिया मुक्त हो जाएंगे। हालांकि माफियाओं का स्पष्ट रूप से उन्होंने नाम नहीं बताये। उनके पास इस बारे में भी कोई जानकारी नहीं थी कि पिछली सपा सरकार में कितने माफिया जेल से बाहर आये।
उन्होंने सपा पर निशाना साधते हुए आगे कहा कि पूर्व सरकार सत्ता में आई तो सभी अच्छे बदलावों को पूर्ववत कर देंगे और हमारे युवाओं के भविष्य को खतरे में डाल देंगे। हालांकि, उन्होंने भाजपा सरकार में बढ़ी बेरोजगारी, मोब लिंचिंग, शिक्षा माफियाओं का बढ़ा वर्चस्व और निजीकरण के बारे में कुछ नहीं बोला।