बिजनौर: घटना उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले की है जहां एक व्यस्त बाजार में दिनदहाड़े दरोगा को बेरहमी पीटा गया। जब अपने ही विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने नामित भगवाधारी हमलावरों के खिलाफ मामला दर्ज करने से इनकार कर दिया तो पीड़ित दरोगा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
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यह घटना सब-इंस्पेक्टर (एसआई) अरुण कुमार राणा (40) और एक स्थानीय वकील उमंग काकरन के बीच हुई। उमंग काकरन एक भगवा संगठन का सदस्य भी है। राणा ने जब बिना जांच के “प्रभावशाली व्यक्ति” को चरित्र प्रमाण पत्र जारी करने से इनकार किया तो वो हाथापाई पर उतर आया।
एसआई अरुण राणा को तब ज्यादा सदमा लगा जब वो अपने हमलावरों के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए झालू इलाके में अपने पुलिस स्टेशन पहुंचे। वहां उनके वरिष्ठ अधिकारियों ने नामजद दबंगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के बजाए अज्ञात में कर दी। एसआई अरुण राणा ने इस पर आपत्ति जताई लेकिन उनकी मांग को खारिज कर दिया गया।
इस बात से नाराज एसआई ने अपने आत्मसम्मान से बिना समझौता किये अपने पद से इस्तीफा दे दिया। राणा के इस्तीफे ने पुलिस आला अधिकारियों को हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर किया, जिसने विभागीय जांच लंबित रहने तक उन्हें पद पर “सशर्त रूप से बहाल” कर दिया। उसके दो कथित हमलावरों को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
यह सब एसआई राणा और वकील उमंग काकरन के बीच विवाद के साथ शुरू हुआ। राणा ने बिना जांच काकरन को प्रमाण पत्र जारी करने से इनकार कर दिया था, जिससे पिछले गुरुवार को लड़ाई हुई थी। आरोप है कि हाथापाई के दौरान राणा ने काकरन को थप्पड़ जड़ दिया था।
दो दिन बाद, शनिवार को, एसआई राणा को उनका निलंबन पत्र मिला और उनके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू की गई।
निलंबन के कुछ ही घंटों के भीतर, राणा पर चार नकाबपोश लोगों ने एक बाजार में हमला किया जब वह किराने का सामान खरीद रहे थे। पैर में फ्रैक्चर होने पर उसे अस्पताल ले जाया गया।
एसआई ने टीओआई को बताया, “मेरी गलती यह थी कि मैं कागजात पर हस्ताक्षर करने से पहले कुछ सत्यापन चाहता था। मुझे मजबूर किया जा रहा था। जब मैंने मना किया तो उमंग काकरन की शिकायत पर मुझे सस्पेंड कर दिया गया। बाद में, एक व्यस्त बाज़ार में मुझ पर हमला किया गया। मैं सभी हमलावरों को जानता था और अपनी शिकायत में उनका नाम लिया था। लेकिन अज्ञात हमलावरों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। मुझे मेरे ही अधिकारियों ने परेशान किया। मुझे एसपी कार्यालय बुलाया गया और समझौता करने के लिए कहा गया। इसलिए, मैं अपना इस्तीफा देने के लिए एसपी कार्यालय गया लेकिन मेरा पत्र वहां नहीं मिला। बाद में, मैंने इसे एसपी, डीआईजी, एडीजी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को मेल किया।”
संपर्क करने पर, बिजनौर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) धर्मवीर सिंह ने टीओआई को बताया कि कार्यकर्ता को थप्पड़ मारने के लिए एसआई को निलंबित कर दिया गया था।
“पुलिस ने दक्षिणपंथी कार्यकर्ता उमंग काकरन सहित दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। हमले से कुछ दिन पहले सब-इंस्पेक्टर राणा ने कथित तौर पर काकरन को थप्पड़ मारा था। काकरन द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद एसआई को निलंबित कर दिया गया था। लेकिन बाद में जब एसआई पर चार नकाबपोशों ने हमला किया तो हमने मामला दर्ज कर लिया। जांच जारी है और दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। बाकी को जल्द ही पकड़ लिया जाएगा।”
एसआई के इस्तीफे के बारे में पूछे जाने पर एसपी ने कहा, ”एसआई राणा ने मुझे अपना इस्तीफा नहीं दिया है.”
उनकी बहाली के बारे में पूछे जाने पर एसआई राणा ने कहा कि यह सशर्त है। “मुझे कोई आदेश नहीं दिया गया है। मैंने सुना है कि ईद के त्योहार की सुरक्षा का हवाला देते हुए मुझे सशर्त बहाल कर दिया गया है।” राणा ने आगे “उत्पीड़न” की आशंका भी व्यक्त की और अपने जीवन के लिए खतरे का भी दावा किया।
एसआई राणा ने कहा, “एसपी ने पहले ही मेरे खिलाफ जांच शुरू कर दी है। मुझे फिर से प्रताड़ित किया जाएगा। मैंने बीएसएफ और सीआईएसएफ में 10 से अधिक वर्षों तक सेवा की है। मैंने वहां ऐसी चीजें नहीं देखीं। मैं वास्तविकता जानने के लिए एसआईटी जांच चाहता हूं।”
सोर्स: टाइम्स ऑफ इंडिया