लखनऊ। राजनीति के क्षेत्र में पहली बार कोई दल “राइट टू प्रॉमिस” (RTP) जैसा बड़ा मुद्दा लेकर मैदान में है. यह एक ऐसा मुद्दा है जिससे सभी राजनीतिक दल हमेशा से बचते आए हैं. लेकिन भारतीय जन नायक पार्टी (BJNP) इस मुद्दे को जोश-ओ-होश से उठाने और निभाने के लिए पूरी तरह तैयार है.
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बुधवार को बीजेएनपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और “भारत गौरव” पुरष्कार से सम्मानित संतोष कुमार यादव ने लखनऊ पार्टी कार्यालय पर जिलाध्यक्षों के साथ समीक्षा बैठक की.
आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के मद्देनजर संतोष यादव ने सभी जनपदों में जिलाध्यक्षों को सक्रिय रहने और पार्टी को मजबूत करने की नसीहत दी.
इस मौके पर प्रदेश अध्यक्ष हीरेन्द्र गुप्ता ने यह स्पष्ट किया कि बीजेएनपी पार्टी में हर वक्त जनता की सेवा और जागरूकता बढ़ाने वाले जिलाध्यक्षों को ही महत्त्व दिया जाएगा. निष्क्रिय पदाधिकारियों को तत्काल प्रभाव से हटाते हुए नये सक्रिय पदाधिकारियों का चयन करने की कार्यवाही की जाएगी.
इसके साथ ही प्रदेश अध्यक्ष ने पार्टी में अनुशासनहीनता करने वाले कार्यकर्ताओं पर नजर रखते हुए उनके विरुद्ध उचित कार्यवाही करने की बात कही.
वहीं, बीजेएनपी राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष कुमार यादव ने जिलाध्यक्षों को स्पष्ट रूप से निर्देशित किया कि वे सभी बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं के साथ जाकर लोगों को “राइट टू प्रॉमिस” (RTP) के बारे में विस्तृत जानकारी दें.
संतोष यादव ने कहा कि, “हमारी पार्टी राइट टू प्रॉमिस जनता के लिए लेकर आई है जिसके दायरे में हम सभी आते हैं. यह एक ऐसा फार्मूला है जिसके लागू होने पर लोगों को बिना लड़े, आंदोलन किए या पुलिस की लाठी खाए उनका अधिकार मिल जाएगा. अगर जनता आरटीपी को लागू करवाने में हमारा साथ नहीं देती है तो खुद ही अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारेगी.”
बीजेएनपी राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि, “पहले अंग्रेजों ने भारतवासियों के अधिकारों का हनन किया, फिर आजादी के बाद से अब तक सभी राजनीतिक दलों ने झूठे वादें करके देश की जनता का शोषण किया. लेकिन अब जनता से झूठे वादें करने वाले दल तैयार रहे, क्योंकि 2022 चुनाव में आरटीपी नया भूचाल लाने वाला है.”
क्या है “राइट टू प्रॉमिस” (RTP) ?
दरअसल, राइट टू प्रॉमिस (RTP) वादों को पूरा कराने का जनता को हासिल एक मजबूत कानूनी अधिकार होगा. चुनाव से पहले बड़े बड़े घोषणापत्र या संकल्प पत्र के जरिये मतदाताओं का वोट हासिल करने वाली सभी पार्टी चुनाव जीतने के बाद कुछ ही वादों को पूरा करती है. ऐसी स्थिति में जनता को धोखे के साथ मजबूरी में पांच सालों तक सरकार को झेलना पड़ता है.
राइट टू प्रॉमिस (RTP) में इन्ही उद्घोषणाओं को कानूनी तौर पर जनता बनाम पार्टी के बीच एक प्रकार का लिखित एग्रीमेंट होगा. इसके खिलाफ जाने पर जनता को यह अधिकार होगा कि वो पहले कानूनी दबाव डाल कर सरकार को वादें पूरे करने पर मजबूर करे. यदि इसके बाद भी सरकार नदारद रहती है तो जनता अपने विशेष अधिकार का इस्तेमाल करके मुख्यमंत्री को इस्तीफे के लिए मजबूर कर देगी.
जनता को मजबूर से मजबूत बनाने वाले इस आरटीपी का खाका खुद पार्टी चीफ संतोष यादव ने बुना है. भारतीय कानून का विशेष ज्ञान रखने वाले संतोष यादव ने 2019 में आरटीपी को पूरे भारत में लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल भी दाखिल की है.