लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी की प्रोजेक्ट निदेशक अनीता सी मेश्राम ने ट्रांसजेंडर समुदाय (किन्नर) की स्वास्थ्य समस्याओं सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जनपद लखनऊ में स्थापित हो रहे ’’ट्रान्स स्वास्थ्य क्लीनिक’’ (Transgender Health Clinic) का उद्घाटन किया। राजधानी लखनऊ में उत्तर भारत का यह पहला ट्रान्स स्वास्थ्य क्लीनिक है।
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मेश्राम ने कहा कि ट्रांस स्वास्थ्य क्लीनिक एक एकीकृत सेवा वितरण केन्द्र (इन्टीगेटेड सर्विस डिलिवरी सेन्टर) के रूप में ट्रांसजेंडर लोगों की स्वास्थ्य और गैर-स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करेगा।
स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने के अलावा क्लीनिक समुदाय के सामाजिक अधिकारों तथा अन्य आवश्यकता जनित सेवाओं तक पहुच सुनिश्चित करने के लिए एक सहयोगी वातावरण की सुविधा प्रदान करेगा।
प्रत्यक्ष सेवा प्रदान करने के अलावा क्लीनिक किन्नर समुदाय के सदस्यों के साथ नेटवर्किंग करेगा और सेवा प्रदाताओं की एक श्रृंखला से जोड़ेगा।
ट्रांस हैल्थ क्लीनिक (Transgender Health Clinic) के माध्यम से ट्रासजेन्डर समुदाय को एसटीआई, टीबी, हैपेटाइटिस-बी/सी, एचआईवी तथा गैर-संचारी रोगों की स्क्रीनिंग सेवा प्रदान की जाएगी तथा आवश्यक रेफरेल व लिंकेज प्रदान करते हुए दवाइयां भी उपलबब्ध करायी जायेंगी।
साथ ही साथ मनोचिकित्सीय परामर्श सेवा, जीवन कौशल शिक्षा की व्यवस्था भी की जा रही है। ट्रांस हेल्थ क्लीनिक में सामान्य चिकित्सक, मनोचिकित्सक, पियर काउन्सलर, आउटरीच कोआर्डीनेटर आदि टीम द्वारा क्लीनिक मैनेजर के नेतृत्व में सभी सेवायें अनवरत रूप से दी जायेंगी।
प्रोजेक्ट निदेशक मेश्राम ने कहा कि उत्तर प्रदेश में ट्रासजेंडर समुदाय की जनसंख्या पूरे भारत की कुल ट्रासजेंडर आबादी के एक चौथाई से भी अधिक है।
इसलिए उनकी जरूरतों का ध्यान दिया जाना, उन्हें समग्र स्वास्थ्य सेवायें उपलब्ध कराया जाना, उन्हें एचआईवी और एसटीआई की रोकथाम हेतु सेवायें उपलब्ध कराना हम सभी की जिम्मेदारी है।
इस प्रयास का मुख्य उद्देश्य उच्च जोखिम वाले ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की पहचान करना और एचआईवी रोकथाम तथा उपचार सेवाओं के साथ इस समुदाय की जरूरत के आधार पर अन्य आवश्यक सेवाओं से जोड़ना है।
ट्रांस हैल्थ क्लीनिक (Transgender Health Clinic) की स्थापना उत्तर भारत के ट्रांसजेंडर समुदाय की स्वास्थ्य व अन्य जरूरतों के सापेक्ष एक सकारात्मक पहल है। इसके माध्यम से ट्रांस समुदाय के यौन, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार आयेगा। उनके साथ होने वाले भेेद-भाव में कमी होगी और उन्हें भी मुख्य धारा से जोड़ा जा सकेगा।
एचआईवी कार्यक्रम के दृष्टिकोण से इन्फेक्शन के विषय में जागरूकता बढे़गी, एचआईवी पॉजिटिव लोगों को अतिशीघ्र एआरटी से लिंक करते हुए उन्हें नियमित दवा दी जा सकेगी।
इस दौरान डिप्टी डायरेक्टर जनरल नाको डॉक्टर सोभिनी राजन, जॉन्स हापकिंस यूनिवर्सिटी से डॉक्टर सुनील सुहास सोलोमन, वाईआरजी केयर से कविशेर कृष्णन तथा एल्टन जॉन एड्स फाऊंडेशन से थामस ब्रिजडन एवं ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों सहित अन्य लोग उपस्थित थे।