लखनऊ: नागरिक परिषद और आल इंडिया वर्कस कौंसिल के संयुक्त तत्वावधान में लेखक व सामाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद मसूद की याद में श्रध्दांजलि सभा का आयोजन शोएबर्रहमान पुस्तकालय, खुरर्म नगर में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ लेखक शकील सिद्दीकी व संचालन ओपी सिन्हा ने किया।
श्रध्दांजलि सभा में लखनऊ के सामाजिक, साहित्यिक और पत्रकारिता क्षेत्र के नागरिकों ने शिरकत की। मोहम्मद मसूद का 21 अप्रैल 2021 को कोरोना संक्रमण के कारण निधन हो गया था।
ओपी सिन्हा ने मोहम्मद मसूद के जीवनवृत्त पर चर्चा करते हुए बताया कि वो एक बहुआयामी प्रतिभा के बेहद जागरूक एवं जिम्मेदार नागरिक थे। मसूद श्रमिक आंदोलन, जन आंदोलनों में सक्रिय रहने के साथ उन्होंने साहित्य, भाषा, पत्रकारिता, आलोचना, इतिहास आदि विविध क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
उर्दू साहित्य में उनकी बड़ी पहचान थी और वे स्वयं एक अच्छे शायर थे। मसूद आल इंडिया वर्कस कौंसिल के राष्ट्रीय पदाधिकारी थे तथा उन्होंने लखनऊ में नागरिक परिषद के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
पत्रकार हिसाम सिद्दीकी ने कहा कि मोहम्मद मसूद साम्प्रदायिक सौहार्द और एकता की मिशाल थे। उन्होंने इंसानियत व इंसाफ के लिए आजीवन काम किया।
डॉ. नरेश कुमार ने मसूद के शिक्षण कला पर चर्चा करते हुए कहा कि वे किस्सागोई की शैली में पूरे इतिहास को आसानी से समक्षा देते थे। लता राय ने कहा कि वे महिला शिक्षा व महिला समानता के बडे पैरोकार थे।
साहित्यकार पुतुल जोशी ने कहा कि उनकी उर्दू भाषा और साहित्य पर गहरी समझ थी और उनका हमारे बीच से चले जाना पूर समाज के लिए क्षति है।
एडवोकेट मोहम्मद शोएब ने अपनी यादों को साझा करते हुए बताया कि कैसे वे हिन्दू और मुस्लिम एकता के बल वे एक बडे जन आंदोलन के लिये काम कर रहे थे ताकि अपने देश मेंं लोकतंत्र व मानव अधिकारों की हिफाजत की जा सके।
अध्यक्षीय सम्बोधन में वरिष्ठ लेखक शकील सिद्दीकी ने मोहम्मद मसूद के साहित्यिक समक्ष की बारीकियों पर चर्चा की और बताया कि इतने गुणों के बावजूद उनकी सादगी और निष्ठा से हमें सीखना होगा।
कार्यक्रम में एडवोकेट वीरेंद्र त्रिपाठी, रामकिशोर, उबैदुल्लाह, मोहम्मद बशर, राजीव यादव, आदियोग, तौकीर, सारा व अन्य ने मोहम्मद मसूद को याद करते हुए अपनी स्मृतियों को साझा किया।