देहरादून: पांच साल पहले एक रैली के दौरान उत्तराखंड पुलिस के घोडे़ शक्तिमान (Shaktiman Horse) के घायल होने के मामले में आरोपी प्रदेश के कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी (Ganesh Joshi) को देहरादून की एक अदालत ने बरी कर दिया।
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देहरादून के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट लक्ष्मण सिंह ने मामले में कोई पुख्ता प्रमाण न होने के आधार पर जोशी तथा अन्य आरोपियों को बरी कर दिया।
वर्ष 2016 में राज्य की तत्कालीन कांग्रेस सरकार की नीतियों के खिलाफ भाजपा की रैली के दौरान शक्तिमान की एक टांग टूट गई थी। काफी उपचार के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका था।
वहीं मामले में पुलिस ने जोशी के खिलाफ अन्य अधिनियमों के अलावा पशु क्रूरता अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज किया था।
बता दें कि अदालत से बरी होने के बाद जोशी ने कहा कि वह शुरू से ही कहते आ रहे हैं कि इस मामले में वो दोषी नहीं हैं और आज सत्य की विजय हुई है।
क्या है पूरी घटना?
बता दें कि, 14 मार्च 2016 को भाजपा द्वारा आयोजित एक विरोध प्रदर्शन के दौरान शक्तिमान (Shaktiman Horse) पर भाजपा विधायक गणेश जोशी (Ganesh Joshi) ने लाठी से हमला किया था। हाथापाई में एक अन्य व्यक्ति ने घोड़े को उसकी लगाम से पकड़ने की कोशिश की जिसमें घोड़ा असंतुलित होकर गिर गया और एक पैर पूरी तरह से टूट गया।
जब टेलीविजन दृश्यों में विरोध प्रदर्शन के दौरान शक्तिमान पर कई वार होते हुए और उसके टूटे, कटे हुए अंग को कष्टदायी दर्द में खींचते हुए देखा गया तो इस दृश्य ने दुनियाभर के लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया था।
इस तरह भाजपा प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पों के दौरान बेरहमी से पीटे जाने के बाद घोड़े ने अपना पैर खो दिया था। हालांकि जोशी ने दावा किया कि घोड़ा घायल हो गया था क्योंकि उसका पैर एक गड्ढे में फंस गया था।