इस्लामाबाद: लाहौर उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति आयशा मलिक (Justice Ayesha A. Malik) पाकिस्तान सर्वोच्च न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश होंगी। पाकिस्तान जैसे रूढ़िवादी मुस्लिम देश के न्यायिक इतिहास में यह एक महत्वपूर्ण क्षण है।
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कानून मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने 55 वर्षीया न्यायमूर्ति मलिक की पदोन्नति को मंजूरी दे दी है और उनके पद की शपथ लेते ही उनकी नियुक्ति प्रभावी हो जाएगी।
सर्वोच्च न्यायपालिका की नियुक्ति से संबंधित द्विदलीय संसदीय समिति द्वारा आयशा मलिक (Justice Ayesha A. Malik) की पदोन्नति को मंजूरी दिये जाने के दो दिन बाद यह ऐतिहासिक क्षण आया।
पाकिस्तान के न्यायिक आयोग (JCP) ने इस महीने की शुरुआत में उनके नाम की अनुशंसा की थी।
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के सांसद फारूक एच नाइक की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने उनके नामांकन को मंजूरी देते हुए वरिष्ठता के सिद्धांत को खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति आयशा मलिक (Justice Ayesha Malik) लाहौर उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की वरिष्ठता सूची में चौथे स्थान पर हैं।
न्यायमूर्ति मलिक को मार्च 2012 में लाहौर उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।
वह अब जून 2031 में अपनी सेवानिवृत्ति तक सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में काम करेंगी।
वह अपनी वरिष्ठता के आधार पर जनवरी 2030 में प्रधान न्यायाधीश बनने की कतार में होंगी।
न्यायमूर्ति आयशा मलिक का प्रारंभिक जीवन
न्यायमूर्ति आयशा मलिक ने अपनी बुनियादी शिक्षा पेरिस और न्यूयॉर्क के स्कूलों से प्राप्त की और लंदन के फ्रांसिस हॉलैंड स्कूल फॉर गर्ल्स से ए लेवल की पढ़ाई की।
पाकिस्तान में उनकी शिक्षा में कराची ग्रामर स्कूल से सीनियर कैम्ब्रिज और कराची के गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स से वाणिज्य में स्नातक शामिल थे।
उन्होंने अपनी प्रारंभिक कानूनी शिक्षा लाहौर में पाकिस्तान कॉलेज ऑफ लॉ से ली है। बाद में उन्होंने हार्वर्ड लॉ स्कूल, कैम्ब्रिज, मैसाचुसेट्स, यू.एस.ए से एलएलएम किया।
न्यायमूर्ति मलिक की मुख्य शैक्षिक उपलब्धि उत्कृष्ट योग्यता के लिए लंदन एच. गैमन फेलो 1998-1999 नामित किया जा रहा था। वह तीन बच्चों के साथ शादीशुदा है।